Pratigya (प्रतिज्ञा)

About The Book

प्रतिज्ञा' में प्रेमचंद ने विधवा समस्या को नये रूप में प्रस्तुत किया है, तथा उसका विकल्प भी सुझाया है । प्रतिज्ञा का नायक अमृतराय विधुर है, जो अपना विवाह किसी विधवा से करना चाहता है जिससे कि किसी विधवा का हित हो, दूसरे हम उम्र पत्नी भी मिल जाये और किसी नव-यौवन का जीवन नष्ट न हो... ।नायिका 'पूर्णा' आश्रयहीन विधवा है जो अपना वैधव्य पति को अर्ध्य समर्पित करते हुए ही व्यतीत करना चाहती है लेकिन कमला प्रसाद जैसे भूखे भेड़िये उसके संयम को तोड़ना चाहते हैं । विषम परिस्थितियों में घुट घुटकर जी रही भारतीय नारी की विषमताओं और नियति का सजीव चित्रण है 'प्रतिज्ञा' । About the Author प्रेमचंद (1880-1936 ई०) विश्वस्तर के महान् उपन्यासकार और कहानीकार थे। उनके उपन्यासों और कहानियों ने हिन्दी के करोड़ों पाठकों को तो प्रभावित किया ही है, भारत की अन्य भाषाओं के पाठकों के हृदयों का स्पर्श भी किया है। उन्होंने संसार की रूसी, फ्रेंच, अंग्रेजी, चीनी, जापानी इत्यादि भाषाओं में हुए अनुवादों के द्वारा विश्व भर में हिंदी का गौरव बढ़ाया है। प्रेमचंद जनता के कलाकार थे। उनकी कृतियों में प्रस्तुत जनता के सुख-दुःख, आशा-आकांक्षा, उत्थान-पतन इत्यादि के सजीव चित्र हमारे रूप को हमेशा छूते रहेंगे। वे रविन्द्र और शरत् के साथ भारत के प्रमुख कथाकार है जिनको पढ़े बिना भारत को समझना संभव नहीं। इसी प्रकार ‘प्रतिज्ञा’। कथाशिल्पी का एक अनूठा कहानी-संग्रह है। - प्रेमचंद
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