प्रतीक्षा हम जीवन भर प्रतीक्षा करते हैं| एक समाप्ति पर दूसरे की प्रतीक्षा | कभी संसार भर पाने की प्रतीक्षा तो कभी संसार से भाग जाने की प्रतीक्षा| कभी प्रेम कभी मिलन की प्रतीक्षा तो किसी से त्याग और बलिदान की| मिलन की प्रतीक्षा को हम सर्वोपरि रख सकते हैं जिसमें वियोग विरह और वेदना का समावेश होता है| क्योंकि वियोग और मिलन प्रेम का प्रतिक है| यह नब्बे के दशक की एक सामाजिक स्थिति का परिदृश्य है जिसमें दोनों शिक्षित युवा अपने अंतर्मन की वेदना को परिवार के समक्ष व्यक्त नहीं कर पाते है और दोनों प्रतीक्षा करते करते बिछुड़ जाते हैं| इसी प्रकार सारी कहानियों में सम्बन्धअभिमानवियोग और प्रतीक्षा का मैंने भिन्न भिन्न रूप में चित्रण करने की कोशिश की है|
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