Premanubhav ( Kavya Sankalan)
Hindi

About The Book

जिंदगी की राह में जब जब मैने जो महसूस किया उन एहसासों को शब्द देने की कोशिश की है और जब जब जिंदगी ने मुझे अपने रंग दिखाने चाहे उन रंगों से अपने भावों विचारों को रंगने की कोशिश की है। कभी कभी हादसों ने मुझे जिंदगी से दूर बहुत दूर करने की कोशिश भी की परंतु अपना सारा सामर्थ्य बटोरकर मैंने मौत को भी मात दी है। एक हादसा तो मेरे जीवन यात्रा का मील का पत्थर साबित हुआ है। मैंने अपने जीवन को दो भागों में विभक्त कर लिया है एक उसे हादसे से पहले का जीवन और एक उसके बाद का जीवन।अपने अनुभवों को लोगों के साथ साझा किया है। उन्हें उनके एहसासों में जिंदा रहने के लिए प्रेरित किया है। एक एक कविता एक पारिदृश्य का निर्माण करती है और उसमें रमा हो जाने के लिए बाध्य करती है।
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