Premchand Manch Par: Bade Bhai Sahab Do Bailon ki Katha Beti ka Dhan aur Namak ka Daroga ka Natya Roopantran


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About The Book

पुस्तक 'प्रेमचंद मंच पर' के दोनों भागों की सफलता के बाद प्रस्तुत पुस्तक 'प्रेमचंद मंच पर-3' में ली गई चारों कहानियाँ जैसे- 'बड़े - भाईसाहब, दो बैलों की कथा, बेटी का धन और नमक का दारोगा' बहुत समय पहले लिखीं गई थी, लेकिन ये सब आज भी जीवंत हैं। 'बड़े भाईसाहब' प्रेमचंद की महत्त्वपूर्ण कहानियों में से एक है। इस कहानी में दोनों भाइयों के मनोविज्ञान का वर्णन बहुत सुंदर और उपयुक्त वातावरण में किया है। कहानी दोनों भाइयों के रिश्ते को दर्शाने के साथ-साथ, लेखक ने यह भी समझाने का प्रयत्न किया है कि हम स्वयं को अच्छा दिखाने के प्रयास में अपनी स्वाभाविक इच्छाओं को दबा देते हैं, जिससे वास्तविक जीवन में गतिरोध और मानसिक तनाव उत्पन्न हो जाते है। 'दो बैलों की कथा' में प्रेमचंद ने मनुष्य और पशु के भावनात्मक रिश्तों को बखूबी से व्यक्त किया है। साथ ही इस कहानी में चित्रित किया है, कि पशु भी अनुरक्ति और प्रणय के भूखे होते हैं। पशु हो या इंसान, उसे स्वतंत्रता से जीने का पूरा अधिकार है। 'बेटी का धन' कहानी में एक गरीब आदमी की परिस्थितियों को दर्शाते हुए समाज में फैली ज़मींदारी की तानाशाही और अमीरी-गरीबी को चित्रित किया गया है। साथ ही इस कहानी द्वारा समाज में बेटियों को लेकर फैली भ्रान्ति कि 'बेटी पराया धन या बोझ' होती है, पर भी चोट की गयी है। आवश्यकता पड़ने पर परिवार के प्रति एक बेटी भी, बेटों से ज़्यादा कर सकती है, को दर्शाया गया है। 'नमक का दारोगा' कहानी हमारे समाज का एक यथार्थ बताती है। इसमें एक ईमानदार नमक निरीक्षक की कहानी को बताया गया है, जिसने कालाबाज़ारी के विरुद्ध आवाज़ उठाईं। यह कहानी धन के ऊपर, धर्म की जीत की कहानी है। यह कहानी प्रेमचंद की उत्कृष्ट रचनाओं में से एक मानी जाती है।
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