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About The Book
Description
Author
‘प्रेमवारि’ (निर्मल प्रेम का मार्मिक सफर) एक निश्छल त्याग और समर्पण का मार्मिक सफर है, जिसमें प्रेम के अध्यात्म रूप का चित्रण है। इस सफर में विकास और मधु केंद्रीय भूमिका में हैं, जिनके इर्द-गिर्द अवतार, सपना, ज्योत्सना एवं डॉक्टर भाविनी के जीवन सौंदर्य को प्राकृतिक संरचनाओं से संयुक्त किया गया है। भावनाओं का कोमल स्पर्श और इसके समानांतर स्त्री-पुरुष के प्रेम का सकारात्मक प्रदर्शन प्रेम को शीर्ष शिखर तक ले जाता है। मधु ने अपने हृदय के पूजा-गृह में विकास के पावन प्रांजल देव मूर्ति को स्थापित किया। अपनी आस्था, श्रद्धा और हृदय के स्पृहा को वेदी के समान पवित्र रखा। एक पुजारिन बनकर जीवनपर्यंत पूजा की है। सपना और ज्योत्सना के अंदर का प्रेम अंकुरण भी यज्ञ की वेदी के सदृश है। डॉक्टर भाविनी पवित्रता के भावनाओं को बिना छेड़े दैहिक संबध को संतृप्ति का मूल मंत्र मानती है। इसके अनुसार 'अगर प्रेम है तो पुरुषत्व और नारीत्व में संगम होगा ही और यह संसर्ग भी यज्ञ के समान पवित्र है।' विकास और मधु का प्रेम एक असाधारण प्रेम है। एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते-करते दोनों एक ऐसे अटूट बंधन से बंध गए जिसमें ईश्वरीय समर्पण और सम्मान है। प्रेम के लिए विकास, मधु और डॉक्टर भाविनी का द्वंद्व इस उपन्यास की रोचकता को चरमोत्कर्ष तक पहुँचाता है। काश! प्रेम के देवता भी इंसान बनकर प्रेम करते..............