पुकारेगा तुम्हें नरेंद्र कुमार जी की किताब रचनाओं का सम्मिश्रण है जिसे पढ़ने के बाद एहसास होता है कि वह एक ऐसे समाज से उठ कर आए हैं जो मिट्टी से बेखूब जुड़ा है इनकी गजलें आसार और कविताएं समाज की वर्तमान परिस्थिति को उजागर करती है एक साधारण परिवार में पले-बडे नरेंद्र जी असाधारण प्रतिभा वाले व्यक्ति हैं जो मस्तिष्क से नहीं मन से लिखते हैं । नरेंद्र कुमार जी ने गांव देश पर भी कविताएं गजले लिखने की कोशिश किया है नरेंद्र कुमार को साहित्य बोध साहित्य कारों के मंच ने इन्हें कई बार सम्मानित किया है तथा इन्हें चंबल कविता प्रतियोगिता ने भी सम्मानित किया है जिंदगी कल्पनाओं में जीने का किस्सा नहीं होता जिंदगी धरातल से जुड़ी है तभी सार्थक है ये सब उजागर होता है इनकी रचनाएं पढ़ने से । इनकी रचनाओं में प्यार कुरुति दर्द एवं उत्तर प्रदेश की मिट्टी की खुशबू है ऐसी उत्तम सोच वाली कविताएं गजलें शायरी को पढ़ने मात्र से समाज की झलक दिखाई देती है मैं नरेंद्र जी को बधाई देता हूं और भगवान से प्रार्थना करता हूं कि वह ऐसी रचनाएं लिखते रहे और अपनी प्रतिभा से समाज में बदलाव लेकर आए।। विंग कमांडर विशाल भारती भारतीय वायुसेना
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