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About The Book
Description
Author
संस्कृत साहित्य भारत का ही नहीं बल्कि सकल विश्व का सर्वाधिक प्राचीन सम्पन्न एवं सर्वश्रेष्ठ साहित्य है। संस्कृत साहित्य प्राचीन भारतीय ज्ञान-विज्ञान की परम्परा है तथा यही इनके स्रोत हैं। वैदिक साहित्य समस्त ज्ञान का भण्डार है। विद्वानों ने मनुष्य जीव को सफल सुनियोजित सामंजस्यपूर्ण और व्यवस्थित करने हेतु पुरुषार्थ रूप मूल्य की योजना की है। संस्कृत भाषा में सम् उपसर्ग पूर्वक ‘कृ’ धातु में क्तिन् प्रत्यय के योग से संस्कृति शब्द निष्पन्न होता है। संस्कृति जीवन की विधि है। जो भोजन हम खाते हैं जो कपड़े हम पहनते हैं जो भाषा हम बोलते हैं और जिस भगवान की हम पूजा करते हैं ये सभी संस्कृति के पक्ष हैं। सरल शब्दों मे हम कह सकते हैं कि संस्कृति उस विधि का प्रतीक है जिसमें हम सोचते हैं और कार्य करते हैं। इसमें वह सभी वस्तुएँ सम्मिलित हैं जो हमने एक समाज के सदस्य के नाते उत्तराधिकार में प्राप्त की हैं। एक सामाजिक वर्ग के सदस्य के रूप में मानवों की सभी उपलब्धियाँ संस्कृति के रूप में स्वीकार की जा सकती हैं।