Pushp Aur Talavaar

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पुष्प और तलवार पुष्प और तलवार श्री राजनाथ तिवारी की शक्तिशाली साहित्यिक लेखनी से हिंदी साहित्य को गौरवमय उपहार है । यह उनकी प्रथम काव्य - पुस्तक है । श्री राजनाथ तिवारी का काव्य एक ओर जहाँ भव्य गौरव से ओत प्रोत अतीत कलुषित उन्माद में भटकते वर्तमान और स्वप्न में मचलते भविष्य का चित्रण है वहीं दूसरी ओर यह आनंद का वह संसार है जिसके मूल में प्रेम प्रकृति और सौंदर्य है । एक वाक्य में श्री राजनाथ तिवारी का काव्य अदम्य पौरुष का आह्वान है साथ ही शाश्वत संवेगात्मक भावों का मनोरम चित्रण । कवि की आध्यात्मिक दृष्टि विशाल है जो उन्हें सम्पूर्ण सृष्टि को ही काव्य के रूप में दर्शन कराती है । और इसी चिरंतन सत्ता से उनकी लेखनी की अनेक धाराएं निःसृत होती हैं ।श्री राजनाथ तिवारी सिर्फ जीवन और जीवन - संघर्ष के कवि नहीं हैं बल्कि जीवन समर में विजय के कवि हैं । इनकी कविताओं में सिर्फ राष्ट्रप्रेम की भावना नहीं है बल्कि राष्ट्र रक्षा का संकल्प है । पुष्प और तलवार काव्य - संग्रह की कविताओं में साहित्य भाषागत सौंदर्य और भावगत सौंदर्य तीनों तत्व समान रूप से विद्दमान है जो आचार्य रामचंद्र शुक्ल के शब्दों में ज्ञान दशा और रस दशा है । यही त्रिकाल का काल दर्शन है और ब्रह्माण्ड का चिरकालिक संगीत है जो काव्य सृजन के मूल में है । श्री राजनाथ तिवारी मूलतः ओज के कवि हैं लेकिन प्रेम प्रकृति और श्रृंगार के प्रति उदासीन नहीं हैं । पुष्प और तलवार काव्य संग्रह में जहाँ एक और तलवार की चमक का आलोक है वहीं दूसरी ओर पुष्प का सौंदर्य और सुवास भी है । जहाँ तक प्रकृति सौंदर्य की बात है कवि की अनुभूति बौद्धिक है और लेखनी प्रकृति का आध्यात्मीकरण और बौद्धिकरण करती है । प्रत्यक्ष हो या परोक्ष दोनों रूपों में कवि ने पुष्प और तलवार काव्य - संग्रह की कविताओं में अस्तित्वगत समस्याओं प्रबल आवेगों मनुष्य की कमजोरियों कर्तव्य हीनता नियति के क्रूर खेल देश काल परिस्थितियों को अभिव्यक्ति दी है ।
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