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About The Book
Description
Author
घटाएं उमड़-घुमड़ कर उठती हैं तो पानी बनकर बरस जाती हैं उसी तरह जब भावों का अतिरेक होता है जज़्बात छलकने लगते हैं तो कविता में ढल जाते हैं । सदियों से हर संस्कृति हर भाषा हर दिल को शब्द दिए हैं कविता ने। हर दिल की बात कहने वाले ऐसे ही हरदिल-अज़ीज़ कवि हैं -गोपालदास नीरज । नीरज के गीत - ग़ज़लों में भावों की गहराई तो है ही साथ ही उनमें लयात्मकता भी है जो लोगों की जुबान पर चढ़कर बोलती है । इस नए काव्य-संग्रह में नीरज की कविता के चार रंगों - गीत ग़ज़ल दोहे व मुक्तक - की रंगोली सजी है