पुस्तकालयों में विश्व का ज्ञान सुरक्षित रखा है और यह ज्ञान लोगों के पढऩे के लिए ही है। जो उनको ज्ञान अर्जन के साथ-साथ आनंद का भी अनुभव कराता है। पुस्तकालय मात्र केवल भवन ही नहीं है बल्कि एक संस्था भी है जो ज्ञान के भंडार को सुरक्षित रखते हुए पुस्तकों द्वारा ज्ञान पहुँचाते हैं। सार्वजनिक पुस्तकालय ज्ञान के एकाधिकार को तोडक़र जनहित के लिए लोगों को सेवा प्रदान करते हैं। सार्वजनिक पुस्तकालय लोगों का लोगों द्वारा और लोगों के लिए संचालित होता है। पुस्तकालय पुस्तकों का भंडार है यह संस्कृति के चक्र एवं शिक्षा का भी हथियार है। पुस्तकालय का उपयोग व्यक्तिगत एवं स्वेच्छा से है जोर जबरदस्ती से नहीं। पुस्तकालय के अपने सुरक्षित ज्ञान भंडार जनता के हित के लिए खोले गये हैं जोकि कई शताब्दियों से सुरक्षित रखे हुए हैं। प्राचीन काल में यह विचारधारा रही है कि पुस्तकालयों में पुस्तकों को केवल सुरक्षित ही रखा जाए न कि पुस्तकों का उपयोग करने दिया जाए। सार्वजनिक पुस्तकालय समुदाय या समाज का ही भाग बन जाता है जिसके लिए उसे स्थापित किया गया है। अनुक्रम•पुस्तकालय और समाज •समाज में सूचना का योगदान•पुस्तकालयों के विभाग •सार्वजनिक पुस्तकालय•राष्ट्रीय ग्रन्थालय•पुस्तकालय के सिद्धान्त•व्यवसाय और संचार व्यवस्था•सूचना एवं संचार व्यवस्था•पुस्तकालय का व्यवसायीकरण
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.