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About The Book
Description
Author
‘उस दिन मुझे अहसास हुआ कि मैंने उसे हमेशा के लिए खो दिया। मैंने उसकी हँसी खो दी उसकी दोस्ती को उसकी आवाज कोफिर भी कहीं-न-कहीं मेरे दिल में मैं उसे अपनी गर्लफ्रेंड मानता हूँ। मेरी खामोश गर्लफ्रेंड।’ रोहन मेरठ में तैनात एक टेलीकॉम प्रोफेशनल है और कॉलेज के दिनों से ही उसे अपनी गर्लफ्रेंड की याद सता रही है जिसने कोई कारण बताए बिना ही उससे बातचीत बंद कर दी थी। वैसे वह हमेशा उसके साथ रही और उसकी आँखों में गहरा प्यार भी था लेकिन वह उसकी खामोश गर्लफ्रेंड ही रही। पुस्तक की शुरुआत रोहन को भेजे वैदेही के एस.एम.एस. से होती है जो पाँच साल बाद आता है लेकिन इससे पहले कि वह जवाब दे पाता उसका मोबाइल टूट जाता है और वह अपनी यादों में इस कहानी को सुनाने के लिए भटकता रहता है। यह बताने के लिए कि कैसे उसकी गर्लफ्रेंड इंजीनियरिंग कॉलेज में उनके फर्स्ट ईयर के बाद उसकी खामोश गर्लफ्रेंड बन जाती है। ‘प्यार तो होना ही था’ एक सच्ची प्रेम कहानी है जिसमें रोहन इस राज को खोलता है कि क्यों वैदेही इतने समय तक चुप रही और कैसे उनका जीवन बदलने वाला है लेकिन उन्हें नहीं मालूम कि कुछ बहुत बुरा होने वाला है। युवावस्था और तरुणाई के विविध रंग भरे स्वप्निल संसार की रोचक प्रस्तुति है यह उपन्यास ‘प्यार तो होना ही था’।