Raag Marva
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कहानी की दुनिया में जो नई जमात सक्रिय है उनमें ममता सिंह एक नया उभरता चेहरा हैं। उनकी लेखन-प्रक्रिया का मूल तत्व वर्तमान से अतीत में चले जाना और अतीत से भविष्य में छलांग लगा देने जैसा है। ममता का मूल कथा-स्वर संबंधों का राग-विराग यादों की दुनिया में आवाजाही और पुराने मूल्यों के साथ सतत् टकराव में निहित है। उनके पात्र नये समय में खड़े हैं मगर वे पुराने समय की नैतिकताओं मान्यताओं के साथ निरंतर मुठभेड़ में हैं। इस मुठभेड़ में जब वे टूटने को होते हैं तो पलायन के तौर पर अतीत की मोहक गलियों में सरक जाते हैं। - धीरेन्द्र अस्थाना वरिष्ठ हिन्दी लेखक राग मारवा में दस लंबी कहानियाँ शामिल हैं। सभी में समाज में तेजी से आ रहे बदलाव चाहे अच्छे हों या बुरे को कुछ सीधे और कुछ साफ़ स्वर में कहा है। उनकी कहानी विशेषकर आखिरी कांट्रैक्ट हमारे देश में असहिष्णुता और फैलती दहशत को मार्मिक ढंग से बयां करती है। साहित्य जगत में ममता सिंह पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से बेहद परिचित नाम है। वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम.ए. प्रयाग संगीत समिति से शास्त्रीय संगीत में प्रभाकर और रूसी भाषा में डिप्लोमा प्राप्त हैं। वर्तमान में विविध भारती मुम्बई में उद्घोषिका हैं। श्रोताओं के बीच रेडियो सखी के नाम से लोकप्रिय हैं तथा छायागीत और सखी सहेली कार्यक्रम का संचालन करती हैं।
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