रोहित शाह की किताब ‘रातें और चहलक़दमियाँ’ की कविताएँ रातों के संदर्भ परिप्रेक्ष्य एवं रंगों में लिखी गई हैं। इन कविताओं में कवि आत्म-विश्लेषण करता है ख़ुद को बनाता-ढहाता है। अपनी रातों में वह उन सभी अनुभवों से उलझता-सुलझता है जो उसकी ज़िंदगी में मायने रखती हैं। यह कविता-संग्रह कवि के जीवन का लिखित इतिहास है और शायद इसीलिए ये कविताएँ हक़ीक़त का सामना करती नज़र आती हैं। कविताओं के शब्दों में प्रतीकात्मकता भी जीवन की वास्तविकता में निहित है। तक़रीबन पिछले चार सालों के दौरान लिखी गई ये कविताएँ कवि और इस दुनिया के बीच एक पुल बनाती हैं जिस पर ज़िंदगी की गाड़ी चलती रहती है। इस किताब का उद्देश्य उन सभी के दिलों से जुड़ना है जिन्होंने रात की गहराइयों में ज़िंदगी की गहराइयों को सोचा है और ढूँढा है।
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