रवीन्द्रनाथ ठाकुर की प्रसिद्ध कहानियाँ भारतीय साहित्य और विशेषकर बंगला साहित्य की अमूल्य धरोहर मानी जाती हैं। उनकी कहानियों में मानवीय भावनाओं सामाजिक यथार्थ और नैतिक मूल्यों का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है। ठाकुर की कहानियाँ आम जीवन की संवेदनाओं को गहराई से चित्रित करती हैं—चाहे वह नारी की पीड़ा हो बाल मन की कोमलता हो या समाज में व्याप्त असमानताएँ। उनकी प्रसिद्ध कहानियों में “काबुलीवाला” “नष्टनीड़” (The Broken Nest) “पोस्टमास्टर” “समाप्ति” और “छुट्टी” विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इन कथाओं में करुणा त्याग प्रेम और आत्मीयता का स्वर मुखर है। काबुलीवाला जैसी कहानी आज भी पिता-पुत्री के रिश्ते की मासूमियत और बिछोह की वेदना को जीवंत कर देती है। ठाकुर ने साधारण पात्रों और घटनाओं के माध्यम से गहन जीवन-दर्शन प्रस्तुत किया। उनकी कहानियाँ न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं बल्कि सामाजिक चेतना और मानवीय संवेदनाओं को जगाने वाली भी हैं।
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