Rahim Ke Dohe
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भक्तिकालीन हिन्दी साहित्य में रहीम का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है। किसी भी चीज को परखने की शक्ति उनमें गज़ब की थी। अपनी गहरी सूझबूझ से उन्होंने सहज और सटीक शब्दों में दिल को छू जाने वाली बातें जितनी सहजता से कही है उतनी सहजता अन्य किसी के काव्य में नहीं है। आम आदमी रहीम को भक्तिकालीन कवि के रूप में जानता है लेकिन वह एक कुशल योद्धा और सफल राजनीतिज्ञ भी थे। वह मुगल बादशाह अकबर के भरोसेमंद दरबारी थे। उन्होंने अकबर के लिए अनेक युद्ध लड़े और विजय हासिल की। रहीम दानवीर और रहम दिल इंसान थे। उनके व्यक्तित्व की गहरी छाप उनके दोहों पर पड़ी है। इस संकलन में रहीम के चुनिंदा दोहों को शामिल किया गया है जो व्यवहार नीति राजनीति और श्रृंगार जैसे जीवन के व्यावहारिक पहलुओं का सजीव आईना है। उनके दोहो में जिंदगी का निचोड़ है दर्शन है सीख है और लोगों की परख करने की सूझबूझ भी। जब तक मानव इस धरती पर जीवित रहेगा रहीम के दोहे मानवजाति का कल्याण करते रहेंगे।
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