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आंसू: चैतन्य के फूल
अगर तुम जीवन की किताब में कुछ न उगाओगे तो भी कुछ ऊगेगा घास-पात ऊगेगा। और तुम आशा रखोगे कि गुलाब के फूल खिलें! न सुगंध उठेगी न फूल खिलेंगे न भंवरे आएंगे न तितलियां उड़ेंगी न पक्षी गीत गाएंगे। फिर तुम कहोगे जीवन व्यर्थ है। जैसे कि जन्म के साथ ही तुम्हें जीवन मिल गया! जन्म के साथ केवल अवसर मिला है। जन्म के साथ जमीन मिली है। अब यह जमीन तैयार करो गोड़ो पत्थर अलग करो घास-पात की जड़ें खोदो बीज लाओ। ध्यान के बीज बोओ! प्रेम के बीज बोओ! आनंद के बीज बोओ! तो जीवन में अर्थवत्ता होगी काव्य होगा महिमा होगी। नहीं तो जीवन तो व्यर्थ लगेगा ही।
इसमें कसूर किसका? नहीं कुछ लिखोगे जीवन की किताब में तो भी चूहे वगैरह आकर काट-पीट कर जाएंगे कुतर जाएंगे। जंग खा जाएगी जिंदगी अगर उसका तुम उपयोग न करोगे। तलवार की धार मर जाएगी। तुम्हारी प्रतिभा जंग खाई हो जाएगी। और यही हो रहा है करोड़ों लोगों के जीवन में यही अनुभव हो रहा है कि कोई अर्थ नहीं है। मगर कारण? कारण यह नहीं है कि जीवन कोई व्यर्थ घटना है। जीवन एक अपूर्व अवसर है!
ओशो