बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में अपनी यात्राओं और उससे उपजी रचनाओं से विश्व साहित्य को समृद्ध करने वाले राहुल सांकृत्यायन को महापंडित कहा जाता है। हिन्दी यात्रा साहित्य के पितामह कहे जाने वाले राहुल जी बहुभाषाविद् थे और बहुपठित भी। उनका साहित्य समय से संवाद है जिसमें संवाद विवाद स्वीकार अस्वीकार की अनवरत यात्रा शामिल है। राहुल सांस्कृत्यायन के कुल चार कहानी-संग्रह प्रकाशित हैं सतमी के बच्चे वोल्गा से गंगा बहुरंगी मधुपुरी कनैला की कथा । जिसमें से तेरह कहानियों का यह संकलन उनकी लम्बी साहित्य यात्रा का संक्षिप्त परिचय सरीखा है। इन कहानियों को पढ़ते हुए आप शोधार्थी की भाँति नये संदर्भों की तलाश में लग जाते हैं और तत्कालीन परिवेश को जानने की उत्सुकता से भर जाते हैं। ये कहानियाँ आपको एक पाठक होने तक सीमित नहीं करतीं वरन् ये आपको अध्ययन के लिए प्रेरित करती हैं।
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