यह पुस्तक मुख्यतः राजस्थान के अतुलनीय इतिहास और वहाँ के ऐतिहासिक संघर्षों की गाथा है। इस पुस्तक में राजस्थान के रजवाड़ों द्वारा विदेशी घुसपैठियों के साथ संघर्ष उनसे हार न मानना और अपनी आखिरी सांस तक और लहू के अंतिम कतरे तक लड़ते रहने के बारे में उल्लेखनीय ऐतिहासिक जानकारी के साथ विस्तार से बताया गया है।<br>राजस्थान के कण-कण में ऐतिहासिक घटनाएँ अमर बलिदान की शौर्य गाथाएँ गुंथी हुई है। आप कोई भी ऐतिहासिक घटना या परिप्रेक्ष्य देख लीजिये कई ऐसे जांबाज योद्धाओं से रूबरू होंगे जिन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर माँ भारती की रक्षा की। उसकी आन बान और शान को बढ़ाया। यहाँ के हजारों योद्धाओं ने आक्रांताओं को मुंह तोड़ जवाब दिया। इनमें शूरवीर शासक महाराणा प्रताप माला के शिखर हैं शिरोमणि हैं। हल्दीघाटी वीरों की तीर्थ स्थली है तो माँ पन्नाधाय बलिदान की मूरत।<br>इस पुस्तक में उन स्त्रियों की चर्चा भी है जिनकी इन संघर्षों में महत्वपूर्ण भूमिका रही चाहे वो पन्नाधाय के बलिदान की गाथा हो या बलिदानी रानी हाड़ी की गाथा। इस पुस्तक का महत्व आज के वर्तमान संदर्भों में इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि आज भारत माता को खूनी बलिदान की उतनी अवश्यकता नहीं जितनी राष्ट्रीय एकता और एकरूपता की है। इस संदर्भ में यह पुस्तक उपयोगी है। ऐतिहासिक जानकारी के बिना यह असंभव सा प्रतीत होता है।<br>आज के संदर्भ में इस पुस्तक का महत्व इसलिए भी है क्योंकि आज की पीढ़ियाँ अपने अतीत से अनभिज्ञ हैं जबकि वर्तमान को समझने के लिए अपने इतिहास को जानना आवश्यक हो जाता है। यह जानना आवश्यक है कि वर्तमान का गहरा संबंध अतीत की जड़ों से संबंधित होता है।
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