Ram Ke Gaon Se Ayodhya Tak

About The Book

राम.सीता एक आर्दश योद्धा है वे राष्ट्र रक्षा के लिऐ महलों को त्याग कर वीरव्रती बने । सीता एक ऐसी दृढ़ निश्चयी महायोद्धा है जो राम की परिधि से बाहर होते राक्षसों और दानवों को रणचण्डी की तरह मारती है । राधा किसी हीर.राझाए रोमियो.जुलियट और सीरी.फरहात की अग्रज नही वरन् उसका प्रेम कृष्ण के लिऐ राष्ट्र रक्षा की प्रेरणा था । दैत्यों से भरे मधुवन में एक दुस्साहसी महायोद्धा की तरह उसने महारास रचाया था । उसके पायल की रूनझुनए बासुरी की तान और गीत. संगीत से एक ऐसी चिन्गारी उठी थी जो मधुवन के युमना किनारे से उठकर कुरूक्षेत्र मे था । राष्ट्ररक्षा के लिऐ विदा करते कृष्ण के लिऐ निकलते ऑसुओं की धार तो क्याए ऑंसुओं का समुद्र ही पी गई थी कृष्ण ने सत्यभामा की शक्ति से ही नरकासुर का अजेय लौह किला काट डाला था । नरकासुर के प्रहार से कृष्ण जब मुर्छित हो गऐ उन्ही पलों में सत्यभामा ने नरकासुर को काल तक दिया और अजेय दुस्साहसी सैन्य कमाण्डर मुर का वध कराकर कृष्ण को मुरारी बना दिया ।
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