Ramendra Kushwaha

About The Book

बारह कहानियों का संग्रह ‘जीना इसी का नाम’ श्री रामेंद्र कुषवाहा का चौथा कथा संग्रह है। संकलन की कथाऐं कहती हैं कि संघर्श ही जीवन है। जीवन की सार्थकता तब एक नया मोड़ ले लेती है जब हम अपने संघर्श के साथ दूसरों के संघर्श को भी अपना बना लेते हैं। एक चेहरे पे कर्इ चेहरों का मुखौटा ओढ़े धूर्तो से निपटने की चुनौतियां कमासुत कुॅवांरी बहन-बेटी के दर्द सड़ी-गली पुरुश लोलुप पंरपरा के नाम पे नारी देह-भोग की लालसा आज भी जातिय दंष की यंत्रणान्यायिक व्यपस्था की खामिंयां षिक्षा माफियाओं की मनमानियां “ाारीरिक कुरुपता का अभिशात मजबूर-निर्धन औरतों का यौन “ाोशण एवं तेजी से पनप रही छुटभइये नेताओं की बढती प्रलय कारी धाक और इन सब के बीच पिसती-सिसकती आम जन के कश्टों को दर्षाता यह कथा संग्रह पाठकों कां अपने बीच घटना प्रतीत होती है उनके जीवन का भोगा सत्य-सा लगता है। संग्रह की सभी कहानियों के किरदार अंत समय तक कुव्यवस्थाओं से लड़ते-जूझते रहते हैं। यह बात दीगर है कि इस संग्राम में वे कभी हार जातें हैंतो कभी जीत का स्वाद चखतें हैं-जीना इसी का तो नाम है।
Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
downArrow

Details


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE