Rameshwar Prashant : Surkh Savere Ki Lalima Ka Kavi
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About The Book

रामेश्वर प्रशान्त (जन्म: 2 जनवरी 1940) क्रान्तिकारी वामधारा के कवि व लेऽक रहे हैं। उनका निधन करीब 80 वर्ष की उम्र में 6 जून 2019 को गढ़हरा (जिला बेगूसराय बिहार) में हुआ। 1960 के दशक का उत्तरार्ध जन आंदोलन और जन उभार का दौर रहा है। यह सामाजिक राजनीतिक और सांस्कृतिक हलचल व उथल-पुथल का समय है। इसी दौर में नक्सलबाड़ी किसान आंदोलन शुरू हुआ। यह सदियों से उपेक्षित व सताए गए गरीब किसानों-भूमिहीनों का संघर्ष था। इसके मूल में व्यवस्था का क्रान्तिकारी बदलाव था। इसने नौजवानों को ‘मुत्तिफ़ होबो मातृभूमि’ का स्वप्न दिया। प्रशान्त जी के जीवन पर इसका प्रभाव था कि जनमुत्तिफ़ का स्वप्न उनके जीवन का स्वप्न बन गया। उन्होंने इसे साकार करने में कुलवत्तफ़ी सांस्कृतिक योद्धा की तरह अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। कलम जागरण का हथियार बन गया। व
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