समकाल की आवाज़ हमारे समय के साहित्य संगीत कला सिनेमा राजनीति के माध्यम से सुनी जाती है। समकालीन साहित्य इसका सबसे बड़ा जरिया है। हम ‘समकाल की आवाज़’ शृंखला के माध्यम से साहित्य में मौजूद इस आवाज़ को पकड़ने और सामने लाने की एक छोटी-सी कोशिश कर रहे हैं। यह एक शुरुआत है। हम इस सिलसिले को बहुत दूर तक ले जाना चाहते हैं। आरम्भ हम कविता से कर रहे हैं। इसके अंतर्गत हमने हर कवि की 50 चयनित कविताएँ आमंत्रित की और साथ में उनका आत्मवक्तव्य। हम कविताओं और उनकी रचना प्रक्रिया के रास्ते समकाल की आवाज़ को सुनना-समझना चाहते हैं। इस चयन में हमने वरिष्ठता या कनिष्ठता का कोई ध्यान नहीं रखा है। हमने दूर-दराज क्षेत्रों से इसकी शुरुआत की है।
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