मंजुल भारद्वाज “थिएटर ऑफ रेलेवेंस” नाट्य सिद्धांत के सर्जक व प्रयोगकर्त्ता मंजुल भारद्वाज वह थिएटर शख्सियत हैं जो राष्ट्रीय चुनौतियों को न सिर्फ स्वीकार करते हैं बल्कि अपने रंग विचार थिएटर आफ रेलेवेंस के माध्यम से वह राष्ट्रीय एजेंडा भी तय करते हैं। अभिनय और प्रदर्शन कौशल्य से संपन्न हैं और १६००० से ज्यादा बार मंच से पर एक अभिनेता के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है । वह अभिनेता हैं निर्देशक हैंलेखक हैं फेसिलिटेटर(उत्प्रेरक) और पहलकर्ता हैं। लेखक-निर्देशक के तौर पर २८ से अधिक नाटकों का लेखन और निर्देशन किया है। इन्होंने राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर थियेटर ऑफ रेलेवेंस सिद्धांत के तहत १००० ( एक हज़ार ) से अधिक नाट्य कार्यशालाओं का संचालन किया है। सिर्फ ''स्वांत: सुखाय'' के लिए रंगकर्म करने वाले रंगकर्मी नहीं हैं बल्कि रंगकर्म को जीवन की चुनौतियों के खिलाफ लड़ने वाला हथियार मानते हैं। इसलिए लीक का थिएटर करने के बजाय थिएटर आफ रेलेवेंस नाम से नया रंगसिद्धांत गढ़ा और भारत की गरीब बस्तियों से लेकर विदेश के सम्पन्न रंगप्रेमियों के बीच रंगकर्म के सफल प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने अब तक 28 के करीब नाटक भी लिखे हैं जिनके हजारों प्रदर्शन हो चुके हैं।
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