रंग महसूस होते हैं लेखक द्वारा रचित एक ऐसी तस्वीर है जिसमें प्रकृति के तमाम मानवीय एवं सामाजिक रंग संजोए गए हैं। इसमें रंगों का ऐसा तानाबाना बुना गया है जहाँ रंग दिखाई नहीं देते वरन महसूस होते हैं। इस तस्वीर में हर व्यक्ति को अपने हिसाब का रंग महसूस होगा। इसमें कुछ ऐसे चटक और गहरे रंग हैं जो हमारे समाज पर गहरी और तीखी चोट करते हैं। कुछ हल्के फुलके रंग है जो व्यंगात्मक तरीके से एक गंभीर बात कह जाते हैं। कुल मिलाकर रंग महसूस होते हैं इस दुनिया के लिए एक दर्पण है जिसमें झाँककर दुनिया को स्वयं में विद्यमान नाना प्रकार के रंग महसूस होने लगते हैं।
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