Rani Laxmibai Newalkar Ke Antim Dibas

About The Book

भारत के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम 1857 में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के साहस एवं शौर्य की गाथा सर्वविदित है। झाँसी में महारानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों की फौज का डटकर सामना किया किंतु अंततः हुजरोज की फौज ने उन्हें पराजित किया और मजबूर होकर उन्हें कालपी की ओर भागना पड़ा। अपनी हार का लक्ष्मीबाई को बेहद मलाल रहा और वे अंग्रेजों से पुनः युद्ध करने का मन बनाती रही। परिणामत: उन्होने स्वतन्त्रता के अपने साथी जैसे तात्याटोपे रावसाहब और अन्य के साथ मिलकर ग्वालियर पर कब्ज़ा कर अठारह दिन राज किया और अंग्रेजों की फौज से लड़ती रही। कालपी से ग्वालियर तक का उनका प्रवास और अंग्रेजों की हुकुमत से पुनः युद्ध के यह अठारह दिवस बहुमूल्य समय की घटना का अनछुआ प्रसंग है। इसी पर शोधकर्ता ने प्रतिदिवस की घटना पर शोध किया।
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