रणक्षेत्रम के पहले भाग में पाँच दिनों के महासमर और दूसरे भाग में इस महागाथा के सबसे मुख्य पात्र ‘दुर्भीक्ष’ की वापसी होने के बाद अब प्रस्तुत है रणक्षेत्रम श्रृंखला का तीसरा भाग जो दुर्भीक्ष के जीवन के सभी भेद खोलकर रख देगा| दुर्भीक्ष और दुर्धरा की प्रेम कथा रीछराज जामवंत के साथ द्वंद्व गरूड़ों का श्राप त्रिगर्ता की यात्रा और दुर्भीक्ष का एक बार फिर दुर्दांत हत्यारा बन पाँच सहस्त्र गंधर्वों की बर्बर हत्या जैसी अनेक घटनाओं को समेटे यह भाग श्रृंखला का सबसे महत्वपूर्व खण्ड होने जा रहा है| वहीं दूसरी ओर सदियों के उपरांत द्रविड़ प्रजाति अपनी मातृभूमि को वापस प्राप्त करने के लिए लौट आई है| ऐसा कौन सा असत्य था जिसने सुर्जन को फिर से दुर्दांत हत्यारा दुर्भीक्ष बना दिया? क्या रहस्य है गरूड़ों के श्राप का? हिस्सा बनें रक्तसागर से सनी एक श्रापित प्रेमगाथा का|
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