About The Bookरसधारा - सप्त भावों का सुरजब सृष्टि की पहली धड़कन गूंजी तब प्रकृति ने विरह की स्याही से प्रेम की पहली कविता रची। बादलों की गूंज पवन की अंगड़ाई और वर्षा की पहली बूँदों से जन्मा भावों का वह दिव्य संगीत ही 'रसधारा' है - जहाँ हर कविता एक भाव है और हर भाव एक राग। यह केवल कविताओं का संग्रह नहीं आत्मा की तरंगों में बहता एक मधुर प्रवाह है - जहाँ सात रस सात राग और सात स्वरूप प्रकृति प्रेम भक्ति करुणा देशभक्ति आत्मबोध और स्वप्निल संवेदनाएँ - सब मिलकर एक अनहद सुर बन गूंज उठते हैं। यहाँ शब्द नहीं सुर बोलते हैं प्रेम नयनों की मुस्कान बनता है राष्ट्र माँ की वाणी बनकर गूंजती है ईश्वर अंतर्मन का स्वर बनकर धड़कता है और मौन भी अपनी गाया कह जाता है। 'रसधारा' वह अनहद सुर है जहाँ भाव राग और आत्मा मिलकर जीवन की सम्पूर्णता का संगीत रचते हैं- सात रसों की वह अमर ध्वनि जो हर हृदय में गूंज उठेगी।
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