आजादी की लड़ाई में भारतीय भाषाओं की पत्रकारिता की महत्वपूर्ण भूमिका इतिहास स्वीकृत तथ्य है। भारतीय भाषाओं के अनेक समाचार पत्र स्वाधीनता अर्जित करने के ध्येय से निकले। इसी ध्येय से लोकमान्य बालगंगाधर तिलक महामना मदनमोहन मालवीय महात्मा गांधी मौलाना अबुल कलाम आजाद और सुभाषचंद्र बोस जैसे राष्ट्रनिर्माताओं ने समाचार पत्र निकाले। स्वातंत्र्यकामी राष्ट्रनिर्माताओं को यह पता था कि फिरंगियों की अनीति का प्रतिरोध करने की कीमत जेल-जब्ती-जुर्माने के रूप में चुकानी पड़ेगी। इसके बावजूद वे कभी डिगे नहीं। वे अपने महत् दायित्व जातीय चेतना और युग बोध के प्रति पूर्ण सचेत थे। यह पुस्तक राष्ट्रनिर्माताओं की पत्रकारिता के मर्म और कर्म पत्रकारिता की गगनचुंबी विरासत और गौरवशाली अतीत से परिचित कराती है। इस पुस्तक से यह भी पता चलता है कि पत्रकारिता का स्वरूप गढ़ने में राष्ट्रनिर्माताओं की कितनी विधायकभूमिका रही है। बाबासाहब भीमराव अम्बेडकर ने सामाजिक सुधार के लिए समाचार पत्रनिकाले तो राममनोहर लोहिया ने समाजवाद की स्थापना को ध्येय बनाकरपत्रिकाएं निकालीं। इस पुस्तक में राष्ट्रनिर्माताओं की पत्रकारिता का उद्देश्य तो प्रकट हुआ ही है उस कालखंड की परिस्थितियों और प्राथमिकताओं का भी पता चलता है। राष्ट्रनिर्माताओं की भाषा लेखन शैली विषय वस्तु के चयन और प्रस्तुति से उनके सामाजिक सरोकारों का भी पता चलता है। राष्ट्रनिर्माताओं की पत्रकारिता ने जो ऊंचे मान-मूल्य और आदर्श स्थापित किए उसकी महत्ता कभी घटनेवाली नहीं। राष्ट्रनिर्माताओं की पत्रकारिता की उपादेयता सार्वकालिक है।
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