‘सन 1917 में महात्मा गांधी ने सर्वप्रथम भोजपुरी क्षेत्र चंपारण जिले में नीलहे साहबों के विरुद्ध अपना आंदोलन छेड़ा। उस आंदोलन में गांधी जी पूर्णतया सफल हुए। दक्षिण अफ्रिका से लौटने के बाद भारत में उनका वह पहला कारगर आंदोलन था जिसे दुनिया चंपारण सत्याग्रह के नाम से जानती है। चंपारण के गांवों में गांधीजी की निशानियां आज भी उस आंदोलन की कहानी कहती नजर आती हैं। उन्होंने चंपारण में कई बेहतरीन प्रयोग भी किए। बुनियादी विद्यालयों की आधारशिला रखी और कस्तूरबा के साथ यहां पढ़ाया भी। इसी आंदोलन के बाद वे राष्ट्रीय मंच पर चमक उठे।’ - इसी पुस्तक से।
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