हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार रांगेय राघव ने विशिष्ट कवियों कलाकारों और चिंतकों के जीवन पर आधारित उपन्यासों की एक शृंखला लिखकर साहित्य की एक बड़ी आवश्यकता को पूर्ण किया है। प्रस्तुत उपन्यास मध्यकालीन अग्रणी कवि गोस्वामी तुलसीदास के जीवन पर आधारित विशिष्ट उपन्यास है जिसमें उनकी पत्नी रत्नावली जो लेखक के अनुसार स्वयं कवयित्री थीं को केंद्र मानकर उनके जीवन में राम-भक्ति के उदय और विकास को प्रदर्शित किया गया है। तुलसीदास एक महान भक्त कवि थे। उन्होंने हिंदू धर्म को पुनः प्रतिष्ठित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया। मुगलों के धार्मिक अभियान को रोकने की दिशा में उनका यह विशिष्ट योगदान था। उन्होंने देशभर में रामलीला का भी आरंभ और प्रचलन किया जो आम जनता में हिंदू धर्म को बनाए रखने मे सफल हुई। इस आंदोलन के ही परिणाम स्वरूप हिंदू समाज को उसकी व्यापक संस्कृति के आधार पर संगठित होने का आधार मिला। रांगेय राघव का यह उपन्यास आदि से अंत तक पठनीय है।
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