लेखक की बात10 वर्ष की उम्र में पिता जी की मृत्यु जीवन को हिला कर रख दिया था हम सभी भाईयों की परवरिश का बोझ माँ के कन्धों में आ गया था बहुत ही सूझबूझ और संघर्ष पूर्ण वातावरण में माँ ने हम सभी भाइयों को इस लायक बनाया कि हम जीवन की पाठशाला में प्रवेश लेकर जीवन में खुशियों के रंग भर पाएं! मुझे यह बताने में गर्व हो रहा है कि मेरी बड़ी बहन श्री मति कमला गर्ग सतना जिले के खुटहा कस्वा में ब्याही हैं जो मुझे बचपन से अपने पास ले गईं और मै अपनी पढाई उन्ही के सानिध्य में किया! मेरे बहनोई स्वर्गीय श्री राम केश गर्ग जी ने मुझे पिता सा स्नेह देकर मुझमे संस्कार के बीज बोए!उन्ही की प्रेरणा से मुझे अपनी भावनाओं को कागज पर परिष्कृत रूप में उतारने का सुअवसर प्राप्त हुआ है उन्ही के संस्कारों की बदौलत ही मै आज इस किताब को लिख पाया!“चौराहे का संवाद” नामक मेरी कविता मेरे जीवन के दर्शन कराती है छाती में रेंगते केकड़े सी चुभती ज़िन्दगी से कुछ पलों को चुरा कर लिखी गई यह काव्यकृति सुधी पाठकों के सामने प्रस्तुत करने में मुझे बेहद ख़ुशी की अनुभूति हो रही है!रेंगते केकड़े साहित्य की एक ऐसी पोटली है जिसे खोलने पर आपको भिन्न भिन्न रंगों में छोटी बड़ी रचनाओं का संग्रह मिलेगा जो ह्रदय में सम्बेदना का संचार करती हैं जिसके गर्भगृह में आपको सामाजिक मूल्यों के पंख फडफडाते मिलेंगे!भागती दौड़ती ज़िन्दगी से जुड़े उन तमाम प्रसंगों को अपनी रचनाओं में शामिल करने का मै पूरा प्रयास किया हूँ जिनसे मानव जीवन को सरोकार है मैंने कम से कम शब्दों से अधिक प्रभावशाली बात कहने का प्रयत्न किया हूँ मेरे इस प्रयास में मुझे कहाँ तक सफलता मिली यह केवल प्रबुध्य पाठक ही बता सकते हैं!मै उन सभी मित्रों का आभारी हूँ जिन्होंने मुझे निरंतर लिखने के लिए प्रोत्साहित किया तथा वक्त वक्त पर मेरा मार्ग दर्शन कर सहयोग दिया है विश्वास है कि साहित्यानुरागी मित्रों को मेरी यह काब्यकृति पसंद आयेगी! ज्ञानी पाठकों की प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा!शिव भरोस तिवारीआनंद भवन शंकर मार्केटपोस्ट-जयंत जिला-सिंगरौली(म.प्र.)मोबाईल-7000466363
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