हिंदी जगत के युगांतकारी लेखक फणीश्वरनाथ रेणु का जीवन अपने-आप में एक उपन्यास है। सृजन और संघर्ष उसका कथानक है। चरित-नायक वह स्वयं हैं। यह पुस्तक रेणु से संबद्ध अंतरंग संस्मरणों का प्रमाणिक दस्तावेज़ है। पुस्तक में लेखकों/आलोचकों राजनीतिज्ञों प्रसिद्ध फिल्मकारों के साथ स्वयं रेणु का लिखा एक संस्मरण भी सहेजा गया है जिसमें वे अपने बचपन के बारे में बता रहे हैं। उनकी पत्नी लतिका रेणु ने भी उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि संस्मरण लिखा है।
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