बेला मुखर्जी एक बहुत ही सशक्त लेखिका रही हैं उनको मानवीय रिश्तों के ईद-गिर्द ताना-बाना बुनने में महारत हासिल है। यह पुस्तक रिश्तों के मोती उनकी चौदह शोर्ट-स्टोरियों का एक बहुत ही सुन्दर संकलन है। इन कहानियों में उन्होंने हमारी आपकी जिंन्दगी से कुछ पल लेकर उनको ही सुन्दर कहानियों का रूप दिया है। आमतौर पर वह हमारी ही जिंदगी के कुछ चुनौती 'भरे पल उठाकर कहानियों का रूप देकर अपने अनुसार उनका कुछ हल ढूंढती हुई नजर आती हैं...<br>अब चाहे यह ये नई पीढ़ी नामक कहानी में बहुत ही सुन्दर तरह से नई पीढ़ी को अपने सिंगल रह गये माता-पिता के अकेलेपन की समस्या को सुलझाते हुये दिखाया गया हो अथवा “मधुयामिनी में बूढ़े माता-पिता को उम्र के इस पड़ाव पर अपने लिये एक नई राह चुन कर उस पर एक-दूसरे का हाथ पकड़ कर एक साथ चलने का फैसला है। जिसे उन्होंने “मधुयामिनी नाम दिया है। अर्थात् हनीमून । चाहे अपनी समझ से अपनी गांव की समस्याओं से लड़ती व उन्हें सुलझाती हुई संतो बुआ हो या विदेशों की तरफ भागते हुए युवाओं को अपने देश में वापस आकर बसने का संदेश देती हुई कहानी आ अब लौट चलें हो अथवा पूरी जिंदगी नौकरी पैसा के लिए शहरों के छोटे-छोटे से कमरों में पूरी जिंदगी बिताने के बाद रिटायरमेंट के समय अपनी जड़ों-गांवों की तरफ मुड़ने और एक सुन्दर व स्वस्थ्य जिंदगी जीने का संदेश देती कहानी दिशा। इसी प्रकार इस पुस्तक की अन्य कहानियाँ भी आपको सुन्दर प्रकृति दर्शन कराती हुई कुछ सुन्दर कहानियों का गुलदस्ता है।<br>उम्मीद करते हैं कि बेला मुखर्जी का यह प्रयास आपको आपके ही कुछ सुन्दर पलों से जोड़ेगा व आपको पसंद आयेगा...
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