Riste Rishtey

About The Book

हिन्दी ही नहीं सकल विश्व की भाषाओं के इतिहास में दोहा सबसे पुराना छंद है। दोहे को छंदशास्त्र में वामनावतार की संज्ञा दी गई है। जिस प्रकार भगवान विष्णु ने वामन का रूप धरकर राजा बलि से दान में प्राप्त तीन पग में त्रिलोक नाप लिया था उसी प्रकार दो पंक्ति और चार चरणों की लघु काया में बना दोहा छंद साहित्य संसार को नाप चुका है। यही कारण की दोहा आदिकाल से अद्यतन रचनाकारों का सर्वप्रिय छंद रहा है। कवि सरहपा के मुख से निकली हिंदी कविता विभिन्न छंदों में बंधकर कभी छंद बंधनों का परित्याग कर आज वेगवती सरिता की तरह अजस्र प्रवाहित हो रही है। दोहा छंद सिद्ध और नाथों व भक्त कवियों के सृजन का माध्यम रहा। रीतिकालीन कवि बिहारीलाल से कलात्मक सौंदर्य पाकर अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया।
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