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About The Book
Description
Author
प्यारे बच्चों! कविताएँ भला किसे अच्छी नहीं लगतीं ? मैं जब छोटा था तो रोज एक कविता याकहानी अपनी मम्मी या पापा से जरूर सुनता था। कविताओं का आनन्द ही ऐसा है जो मन को गुदगुदाता है। खिलखिलाता है। आनन्द से भर जाता है। कविताएँ सुनते-सुनते मैं खुद बचपन से ही कविताएँ बनाने लगा था। मैंने बचपन में एक बिल्ली पाली थी। उसका नाम रखा था इम्मी टिम्मी। उस पर मैंने खूब कविताएँ बनाईं....मैंने पाली इम्मी टिम्मी मेरी बहन ने पाली पिल्ली। बहन की पिल्ली रोती घूमें मेरी खेले बिल्ली। बच्चों मैं अब भी कविताएँ लिखता हूँ। तीस साल से ज्यादा समय हो गया। मेरी कई किताबें छप चुकी हैं। पुरस्कार भी मिले हैं। अच्छा यह बताओ कि क्या आप अपने मम्मी-पापा से कविता या कहानी सुनते हैं? क्या आपने भी कभी कोई कविता बनाई है? बताना मुझे और इन रोचक बाल कविताओं को पढ़ना। इनमें से कई कविताएं आपको कहानी जैसी लगेंगी। अगर गा सकते हो तो गाना। अपने दोस्तों को सुनाना। सुनाओगे न? तो ठीक है टाटा । बाय । बाय। तुम्हारा ही---नागेश पाण्डेय