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About The Book
Description
Author
स्वागत-समिति के अध्यक्ष महाराज रोहूजी की आज्ञा लेकर मंत्री श्रीमती पोठिया देवी ने कार्य आरंभ किया। सबसे पहले संगीताचार्य श्री मेढकजी खड़े होकर मृदंग बजाने और अपनी सुरीली आवाज में स्वागत-गीत गाने लगे—टर्र! टर्र! टर्र!आओ-आओ जलचर-भाई।हिलें-मिलें सब फूट बिहाई।दुश्मन-मुँह पर उड़े हवाई।टर्र! टर्र! टर्र!यह बगुला जो भगत बना है।रूप श्वेत मन श्याम घना है।बिना हटाए चैन मना है।।टर्र! टर्र! टर्र!—इसी पुस्तक से‘रोचक बाल कथाएँ’ पुस्तक को बेनीपुरीजी ने अपनी पहली संतान—पुत्री—को भेंट किया था यह लिखते हुए—“जिसका मुख देखने का सौभाग्य भी मुझे प्राप्त नहीं हुआ था अपनी उसी प्रथम स्वर्गीय संतान की शिशु-आत्मा के पारलौकिक मनोरंजन के लिए यह सस्नेह समर्पित है।” यह अपने समय की सबकी लोकप्रिय व प्रशंसित बाल-पुस्तक मानी जाती है।