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About The Book
Description
Author
“रोशनदानों के पीछे” इस को शीर्षक चुनने के कई कारण हैं यह प्रतीक है स्त्रियों की वस्तुस्थिति का। रोशनदान एक माध्यम भी है उन्मुक्त संसार से स्त्रियों को जोड़ने का। जैसा कि मैंने इसी संग्रह की एक कविता “एक और दुनियां” में लिखा है कि ‘स्त्री का आसमान बहुत संकरा है और उसकी जमीन बहुत पथरीली वह चारदीवारों में कैद है और पंजों के बल खड़े होकर झांकती रहती है।’ यह रोशनदान ऐसी स्त्रियों के महत्वकांक्षाओं इच्छा और सपनों के लिए उम्मीद की किरणें ले आता है और बताता है कि चारदीवारी के बाहर भी एक संसार है जहां तुम्हारी उपस्थिति को नकार दिया जाता है। यह रोशनदान अंधेरे में कैद तुम्हारे अस्तित्व को पुकार रहा है और अगर तुम अपने अस्तित्व को नकार नहीं रही तो खोलो यह बंद दरवाजे क्योंकि रोशनदान काफी नहीं। -अर्चना