समकालीन उर्दू शायरी में ग़ज़ल का पर्याय बन चुके बशीर बद्र हमारे दौर के सर्वाधिक लोकप्रिय शायर हैं । पूरे संसार में जहाँ भी उर्दू और हिन्दी शायरी के पाठक या श्रोता हैं वहाँ तक इनकी ख्याति चन्दन की खुशबू की तरह फैली हुई है ।<br>आम जीवन की छोटी-छोटी अनुभूतियों को काव्यात्मकता प्रदान करके उन्हें शेर में ढाल देने की जो कला बशीर बद्र के पास है वह सदियों में जाकर कहीं किसी को नसीब होती है । आम बोलचाल की सरल और सहज भाषा में अपनी संवेदनाओं को मार्मिक अभिव्यक्ति देने वाले बशीर बद्र अपना कोई सानी नहीं रखते ।<br>‘उजालों की परियाँ और ‘धूप का चेहरा के बाद ‘रोशनी के घरौंदे बशीर बद्र की हृदयस्पर्शी ग़ज़लों का ऐसा संकलन है जिसके एक-एक शेर में पाठक को अपने दिल की आवाज़ सुनाई देगी ।
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