गुरुदेव का आदेश १) जो सन्मुख भूखा है उसे अन्न दो। २) किसी के साथ कभी भी अन्याय मत करो। ३) अपना आचरण कभी भी धर्म के विरुद्ध नही रहने दें। ४) शरणागति वत्सल रहो (अर्थात जो तुम पर विश्वास करता है उस विश्वास का मान रखो) ५) सत्य संतोष प्रेम श्रद्धा भक्ति संयम अभ्यास क्षमा वैराग्य ये नौ ही तुम्हारे जीवन के सच्चे साथी हैं। ६) निरंतर योग पंचयज्ञ कर्म दान स्वाध्याय में रहे। ७) अपने निर्धारित किए हुए लक्ष्य की ओर अपने द्वारा चुने गए एकएकसाध्य को सीढी बनाकर धर्म के मार्ग से आगे बढ़ते रहें। ८) तीनो लोकों के हर एक देश को तीनो कालों के हर एक क्षण को जागृती स्वप्न सुषुप्ति हर एक स्थिती को आनंद चैतन्य और दैवीय सत्ता से जोडना। ९) चलते फिरते उठते बैठते निरंतर आते जाते सोते जागते मिलते मिलाते मुख से ओम नमः शिवाय ही निकलता रहे १०) अपने गुरु को सभी गुरुओ में तथा सभी गुरुओ में अपने गुरु को देखकर सदा सभी का सम्मान करें।
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