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About The Book
Description
Author
रोटियाँ तपने दो| ख़ामोशी की गूंज से नियम-औ- सिद्धांत चटकने दो… रोटियाँ तपने दो| रूढ़ियों के पाषाण से एक काई खुरचने दो… रोटियाँ तपने दो| About the author:-मैं अमिता सिंह एक गृहणी-- -- कुछ शब्द पक गये रोटियां सेकते-सेकते ह्रदय के अंगार पर... उन्हीं शब्दों की हूक से आपके जिया को पिघलाना चाहती हूँ... एक राख अस्तित्व की गर्दिशी कोनों में बिखराना चाहती हूँ... अंतस की गहराइयों से सींचकर बौछारे प्रथम-प्रयास आपके अन्तःमन में बरसाना चाहती हूँ... शायद महक जाये बदबूदार वजूद तड़प के नीर से एक मोती सीप का चमकाना चाहती हूँ...