Rudrgatha


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE

Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Fast Delivery
Fast Delivery
Sustainably Printed
Sustainably Printed
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.

About The Book

यह कथा है उस समय की जब भारतवर्ष कई छोटे–छोटे राज्यों मे बँटा हुआ था। कई क्षत्रिय राजा उन राज्यों पर शासन करते थे और उन सबका अगुआ था सबसे बड़े राज्य ‘वीरभूमि’ का अन्यायी सम्राट कर्णध्वज। यह कथा है वीरभूमि राज्य की निर्वासित बस्ती में अपने काका के साथ रहने वाले एक ब्राह्मण पुत्र रुद्र की - एक योद्धा जो पहले अपनी बस्ती का अधिपति बना है और फिर पड़ोसी राज्य राजनगर पर आक्रमण करके अपने अद्भुत पराक्रम एवं साथी योद्धाओं के सहयोग से उसने युद्ध में विजय प्राप्त की। इसके बाद अपने मित्रों विप्लव विनायक और कौस्तुभ के सहयोग से रुद्र ने वो युद्ध अभियान शुरू किया जो अगले पाँच वर्षों तक अनवरत चलता रहा जिसमें उसने बीस क्षत्रिय राज्यों को जीता। रुद्र प्रतिशोध की आग में जलता हुआ आगे बढ़ता रहा और एक दिन भारतवर्ष का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बना। परन्तु उसका निरंतर आगे बढ़ने वाला विजयरथ देवगढ़ विजय के बाद ठहर जाता है और इस ठहराव का कारण है देवगढ़ की राजकुमारी पूर्णिमा। रुद्र का विजय अभियान पूरा हो चुका था परन्तु परिस्थितियों ने रुद्र को वीरभूमि राज्य के सम्राट कर्णध्वज के विरुद्ध एक अंतिम युद्ध लड़ने के लिए विवश कर दिया। क्या था उस अंतिम युद्ध का कारण? क्या सिर्फ बस्ती के निर्वासित लोगों के लिये ही रुद्र इतने कठिन एवं भयंकर युद्ध लड़ रहा था या रूद्र के प्रतिशोध का कोई अन्य कारण भी था?
downArrow

Details