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About The Book
Description
Author
राष्ट्रपति पुरस्कार से दो बार सम्मानित भावेश भाटिया सनराइज कैंडल्स इंडस्ट्री के संस्थापक है। पूर्णतः अंध होने के बावजूद अपनी मेहनत व जिद के चलते महाबलेश्वर में छोटी रेकड़ी से शुरू किया गया कैंडल का व्यवसाय आज सनराइज कैंडल्स के माध्यम से देश-विदेश में करोड़ों के कारोबार में फैल चुका है। अपने साथ बाकी दृष्टिबाधितों को रोजगार मिल सके इसलिए उनकी कंपनी में आज हजारों से ज्यादा दृष्टिबाधित उनके साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। यह आत्मचरित्र एक ऐसे योद्धा की कहानी है जिसने शिखर पर पहुँचने के लिए बेहद कठिन परिस्थितियों पर विजय पाई। बचपन में रेटिना मस्कुलर डिजनरेशन बीमारी के चलते अपनी आँखों की रोशनी खोनी पड़ी। अपनी माँ को कैंसर की वजह से खोना पड़ा लेकिन—माँ की दी हुई सीख थी ‘‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम दुनिया नहीं देख सकते लेकिन जीवन में ऐसा जरूर कुछ करने की कोशिश करो कि दुनिया तुम्हारी तरफ देखना शुरूकरे।’’ शायद इन्हीं शब्दों की ताकत थी कि भावेश ने अपनी पत्नी नीता के साथ एक ऐसा विश्व खड़ा किया जो समाज में सभी घटकों के लिए प्रेरणादायी है। बचपन से खेलों में दिलचस्पी के कारण भावेश ने अपना जज्बा अंध होने के बावजूद कायम रखा। उसी के चलते राष्ट्रीय पैराओलंपिक और इंडियन ब्लाइंड स्पोर्ट्स एसोसिएशन को मिलाकर कुल 114 मेडल्स के भावेश हकदार हैं|