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About The Book
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घड़े में ऐसा क्या है जो नदी में नहीं है? घर में ऐसा क्या है जो शहर में नहीं है? दरवेश होना और फिर मोहब्बत में होना यह तो किसी बादशाहत से कम नहीं मोहब्बत का ग़म किसी गड़े ख़ज़ाने की तरह है मैंने अपने दिल की नगरी अपने हाथों से उजाड़ दी है क्योंकि मैं जानता हूँ कि ख़ज़ाना मेरे ही अन्दर मेरी बरबादी के खंडहर में कहीं पोशीदा है