Sa Se Stories


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About The Book

विमर्श विशेष की बजाय लेखिका का आग्रह समाज-विमर्श के प्रति है। सभी मुद्ïदे सभी समस्याएँ इसी में समाहित हैं। संकलन की कहानियाँ जीवन के विभिन्न पक्षों का संस्पर्श करते हुए किशोर मन की उधेड़बुन से लेकर बुजुर्गों के एकाकीपन तक की समस्या उठाती हैं। दांपत्य की विविध परतों को खोलती कहानियों में एक ओर टूटते रिश्तों की पड़ताल है तो दूसरी ओर मरकर भी न मिटनेवाला प्रेम पाठक के सशंकित मन को आश्वस्त करता है। कोरोनाकाल की बुरी यादों से आज भी हम उबरे नहीं हैं। मन के साथ तन की नजदीकियाँ कितनी जरूरी हैं। लड़खड़ाते का हाथ थाम लेना मौजमस्ती की गलबहियाँ टूटते हौसलों में कंधे पर उम्मीद भरी गरम हथेली...लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग ने अपनों के बीच मीलों का फासला पैदा कर दिया। बदलते मूल्यों के साथ हम एक नखलिस्तान में जी रहे हैं। आँगन-गलियारे की जगह यूट्ïयूब-ट्विटर की गलियाँ सोंधी माटी की जगह डियो परफ्यूम की खुशबू। मांसलता के आगे सोने से मन का कौड़ी मोल नहीं। ऐसे में प्रस्तुत संगह की ये कहानियाँ प्रेम निश्छलता ममत्व जैसे मूल्यों की उपस्थापना करते हुए पूर्वग्रहों को तोड़ती हैं। मानवीय दुर्बलताओं को उघाड़कर आत्म-मंथन के लिए उकसाती हैं। कथारस से भरपूर एक रोचक कथासं ग्रह।
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