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About The Book
Description
Author
आधुनिक भारत में जो शीर्षस्थानीय दार्शनिक हुए हैं उनमें डा. दया कृष्ण का विशेष स्थान है। उन्होंने पश्चिमी दर्शन-शास्त्र के गहन अध्येता के रूप में शुरुआत की थी पर बाद में उन्होंने भारतीय दार्शनिक और बौद्धिक परम्परा में गहरी पैठ बनायी। उन्होंने अनेक भारतीय विचारों और सिद्धान्तों पर पुनर्विचार किया कुछ का बदली परिस्थिति में पुनराविष्कार किया। उन्होंने निरी नयी व्याख्या से हटकर कई नयी जिज्ञासाएँ विन्यस्त कीं और कई पुराने प्रश्नों के नये उत्तर खोजने का दुस्साहस किया। सभ्यताओं और संस्कृतियों के बीच सम्बन्ध और अन्तर पर उन्होंने नयी गम्भीरता से विचार किया और उन्हें लेकर इतिहास-लेखन के लिए कुछ मौलिक प्रस्तावना की। हिन्दी में निरन्तर क्षीण हो गयी विचार-परम्परा में यह हिन्दी अनुवाद समृद्ध विस्तार करेगा ऐसी आशा है।—अशोक वाजपेयी