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About The Book
Description
Author
साईं ने ऐसा जीवन जिया जो केवल दूसरों के लिए था I उनकी हर बात हर कर्म और प्रत्येक लीला में एक सीख होती थी जिसे पहचान कर और आत्मसात कर कुछ लोग सही मायनों में जीवन को समझ पाए बाबा को मानाने वाले पूरी दुनिया में फैले है जो उनके चमत्कारों से अभिभूत हैं और खुद को धन्य मानते हैं I बाबा तो निरंतर सबका भला कर रहे है लेकिन महसूस करने वाली बात यह है कि हम उन्हें कितनी शिद्दत से अपने जीवन में शामिल कर स्वयं साईमय हो पाते हैं I बाबा के दरवाज़े सभी के लिए सदैव खुले हैं ये तो आगंतुक पर निर्भर करता है कि वह उनकी कृपा धरा से कितना अनुग्रह पाना चाहता है कोई अंजलि भर ले जाता है और कोई सागर ले जाता है I अपनी इच्छाओं की पूर्ति और अवरोधों से मुक्ति के पार जाकर हम इस दिव्यमान से एकात्म होकर स्वयं को जान सकते हैं तथा मानव जीवन की गहराई में उत्तर कर अपना जीवन सफल व् पूर्ण बना सकते हैं यही इस पुस्तक एक उद्देश्य व् सार है I