Sach Jo Kadwa Hai

About The Book

विचारों की उद्वेवलना का उद्भव अगर उथला हो तो संभव है कि शब्दों की इमारत की बुनियाद कमज़ोर रह जाए। लेकिन विचार गहराई से अपनी यात्रा करते हुए घिसते-पिटते चोटिल होते हुए शब्द केंचुली बदलते हुए जब सतह पर आते हैं तो उनका प्रभाव अप्रतिम और प्रभावशाली हो जाता है। वर्तमान में लेखन शैली में जो परिवर्तन हुआ है वो न केवल बाह्य है अपितु आंतरिक भी है। क्या पढ़ा जा सकता है इस पर क़लम को सोते हुए भी जगाकर बलात लिखवाया जा रहा है। लेकिन कुछ लेखनी ऐसी भी है जो सत्य की स्याही से यथार्थ में चलना पसंद करती है। उनका प्रभाव भी अनंत और गहरा होता है। ऐसे विचारकों और लेखकों की क़लम से निकली विभूति का तिलक यदि करने का अवसर प्राप्त हो तो शब्द एक सुरक्षित घेरा बना कर आपके आसपास मंडराने लगते हैं। सोच निर्भीक हो जाती है। फिर वही दिखता है जो सबको नहीं दिख पा रहा है। वही लिखा जाता है जो राज दरबारी या व्यक्तिगत सोच की पराधीनता से आगे स्वच्छंद और मुक्त है।
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