SACHA PYAR KYA HAI?

About The Book

प्रेम पर आधारित उपन्यास एक सर्द शाम को नेहा और में दोनों रानी झील के किनारे पर टहल रहे थे मैंने उफनती लहरों को देखते हुए नेहा से पुछा कुछ लोग कहते हैं जिन्दगी अच्छी है कुछ बेकार कहते हैं तुम बताओ क्या सोचते हो उसने मेरी और हँसते हुए देखा थोड़ी नीचे झुकी हाथों में गीली मिटटी उठाकर मेरे गालों पर लगायी और बोली में तो बस इतना ही जानती हूँ कि एक तुम हो एक मे ऊपर नीला आकाशए नीचे हरी धरती ––– तुम्हारा दिल धड़कता है और मेरा भी मगर दोनों की धड़कन एक है बस यही हमारी जवानी और कहानी है
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