Sadaneera-28 । सदानीरा-28


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About The Book

सदानीरा का यह 28वाँ अंक टी.एस. एलियट की प्रदीर्घ और प्रसिद्ध कविता वेस्टलैंड पर मुख्यतः एकाग्र है। यह ध्यान देने योग्य है कि गत वर्ष वेस्टलैंड कविता के सौ वर्ष पूर्ण हुए हैं। एलियट विश्व कविता के दुरूहतम कवि हैं ऐसे जिनके मिज़ाज की कविताओं से हिंदी का बहुल अपरिचित ही नहीं; बल्कि उसे संदिग्ध निगाह से भी देखता रहा है। ऐसे में जिस सरल भाषा में उनके अनुवाद साथी रचनाकारों ने ‘सदानीरा’ के इस विशेष अंक में संभव किए हैं उनकी तुलना खोजना असंभव है। सरिता शर्मा अमित तिवारी सारुल बागला नेहल शाह आदर्श भूषण देवेश पथ सारिया उत्कर्ष और उपांशु ने जो मेहनत की है वह आश्वस्ति से तो भरी है ही; विश्व साहित्य की अनुवाद-परंपरा को भी समृद्ध करती है। इसके साथ ही यह भी है कि एलियट ने जितना लिखा है जिन तरीक़ों से लिखा है और जितना ज़रूरी लिखा है; उसमें से सर्वोत्तम को चुनना भी मुश्किल रहा। यह आसान रहा कि सामग्री का चयन करते हुए एलियट की बेहतरीन रचनाओं के संकलन मौजूद थे जो इस चयन का आधार बने। ‘वेस्टलैंड’ तो ‘पोएट्री फ़ाउंडेशन’ की वेबसाइट पर थी ही लेकिन इस अंक में शामिल बाक़ी कविताओं और गद्य के लिए उनके चयन ‘कलेक्टेड पोएम्स’ और ‘सलेक्टेड प्रोज़’ तक जाना पड़ा। मेरी समझ से साथी अनुवादक उनके मूल संगीत और विचार को सफलतापूर्वक हिंदी में ले आए हैं ला सके हैं। एलियट के बारे में एलेन टेट की संपादित किताब भी उन पर लिखे संस्मरणों तक पहुँचने में कारगर बनी। सारुल बागला ने उनमें से एक का बहुत अच्छा अनुवाद किया है। ऐसे ही यह इच्छा थी कि एलियट का कोई ऐसा साक्षात्कार छप सके जिससे उनके व्यक्तित्व को समग्रता से समझा जा सके। डॉनल्ड हॉल ने ‘द पेरिस रिव्यू’ के लिए 1959 में उनका जो साक्षात्कार लिया था इस लिहाज़ से मुझे सबसे बेहतर लगा। इस समय तक एलियट को नोबेल पुरस्कार मिल चुका था और उनका सर्वोत्तम सामने था। यहीं से ‘द पेरिस रिव्यू’ ने अपनी प्रसिद्ध ‘द आर्ट ऑफ़ पोएट्री’ सीरीज़ की शुरुआत की थी। अमित तिवारी ने उस साक्षात्कार के अनुवाद के लिए बहुत मेहनत की है। यह साक्षात्कार वर्तमान हिंदी समाज की अभिधात्मक संस्कृति में ‘कविता कैसे पढ़ें’ जैसे प्रश्न पर एक बेहतर विचार शायद प्रस्तुत कर सके।
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