सरकारी स्कूल असल मायने में ‘पब्लिक स्कूल’ हैं। ये हर व्यक्ति के और हर जगह काम आते हैं—इसमें सबसे पिछड़े इलाक़ों के सबसे ज़्यादा वंचित लोग भी शामिल हैं। पिछले लगभग दो दशकों से एस. गिरिधर अज़ीम प्रेमजी फ़ाउंडेशन के साथ अपने काम के दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों में भ्रमण करते हुए सार्वजनिक शिक्षा व्यवस्था को क़रीब से देखते रहे हैं। इन वर्षों में वे ऐसे सैकड़ों सरकारी स्कूल शिक्षकों से मिले हैं जो अपनी देखरेख में आने वाले बच्चों की ज़िन्दगियों को बेहतर बनाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध रहे हैं। ये वे शिक्षक हैं जो हर सीमा को लाँघने का साहस रखते हैं क्योंकि इनका मानना है कि हर बच्चा सीख सकता है। सार्वजनिक शिक्षा व्यवस्था का बेहद करीबी और आँखों देखा हाल बताने वाली पुस्तक। पिछड़े इलाकों और वंचित तबकों के बीच सरकारी स्कूलों का महत्व बताती किताब। सरकारी स्कूल के शिक्षक जिस माहौल में काम करते हैं उस माहौल और परिवेश का उनकी प्रतिबद्धता और जुझारूपन का प्रामाणिक वर्णन।.
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